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Showing posts from May, 2017

श्रीराधे

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*कोई श्याम सुन्दर से कहदो यह जाके।* *भुला क्यों दिया हमें, अपना बना के॥* *अभी मैंने तुमको निहारा नहीं है,।* *तुम्हारे सिवा कोई हमारा नहीं है॥* *चले क्यों गए श्याम दीवाना बना के।* *भुला क्यों दिया हमें, अपना बना के ॥* *अभी मेरी आखों मे आसूँ भरे है,।* *जखम मेरे दिल के अभी भी हरे हैं॥* *चले क्यों गए श्याम बंसी बजा के,।* *भुला क्यों दिया हमें, अपना बना के ॥* *अगर तुम ना आये तो दिल क्या करेगा ,।* *तुम्हारे लिए ही तड़पता रहेगा॥* *निभाना नहीं था तो पहले तो ही कहते।* *बुझाते हो क्यों आग दिल मे लगा के ॥*  *जय राधेश्याम जी*

श्री सर्वेश्वर प्रभु

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श्रीसर्वेश्वर प्रभु दर्शन । निम्बार्क सम्प्रदाय के आराध्य भगवान श्री सर्वेश्वर प्रभु है l आचार्य परम्परा व श्री निम्बार्क सम्प्रदाय के उपासक युगल श्री राधामाधव सर्वेश्वर भगवान है l श्री युगल नाम की उपासना हमें सुदर्शन चक्रावतर भगवान श्री निम्बार्क से प्राप्त हुई है । आप श्री भगवान देवऋशी नारद जी से दीक्षित हुये (जो सम्प्रदाय के तीसरे आचार्य है ) जब जब पृथ्वी पर पाप का अंधकार बडा स्वयं भगवान ने इस धराधाम में प्रकट होकर अपने भक्तों की रक्षा की है ओर धरती पर धर्म की पुनः स्थापना की व पाप रूपी अंधकार का समापन किया है l भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को धरती पर अवतरित होने का आदेश दिया । भगवान श्री निम्बार्क ने हमें युगल नाम की महिमा को बताया है l युगल नाम की यह रसमय उपासना हमें प्रदान करने वाले अध्याचार्या हमारे श्री निम्बार्क भगवान है । भगवान का यह युगलमहामंत्र हमें आप श्री से ही प्राप्त हुआ है । आपकी सम्प्रदाय के प्रथम आचार्य तो भगवान के 24 अवतारों में भगवान हंस से प्रारंभ होती है आपके शिष्य रूप में भगवान संकादिक ऋषि (भगवान सर्वेश्वर आपके द्वारा ही संसेवित है जो आज भी निम्

Radhe radhe

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