श्री सर्वेश्वर प्रभु
श्रीसर्वेश्वर प्रभु दर्शन ।
निम्बार्क सम्प्रदाय के आराध्य भगवान श्री सर्वेश्वर प्रभु है l
आचार्य परम्परा व श्री निम्बार्क सम्प्रदाय के उपासक युगल श्री राधामाधव सर्वेश्वर भगवान है l श्री युगल नाम की उपासना हमें सुदर्शन चक्रावतर भगवान श्री निम्बार्क से प्राप्त हुई है । आप श्री भगवान देवऋशी नारद जी से दीक्षित हुये (जो सम्प्रदाय के तीसरे आचार्य है ) जब जब पृथ्वी पर पाप का अंधकार बडा स्वयं भगवान ने इस धराधाम में प्रकट होकर अपने भक्तों की रक्षा की है ओर धरती पर धर्म की पुनः स्थापना की व पाप रूपी अंधकार का समापन किया है l
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को धरती पर अवतरित होने का आदेश दिया ।
भगवान श्री निम्बार्क ने हमें युगल नाम की महिमा को बताया है l युगल नाम की यह रसमय उपासना हमें प्रदान करने वाले अध्याचार्या हमारे श्री निम्बार्क भगवान है । भगवान का यह युगलमहामंत्र हमें आप श्री से ही प्राप्त हुआ है । आपकी सम्प्रदाय के प्रथम आचार्य तो भगवान के 24 अवतारों में भगवान हंस से प्रारंभ होती है आपके शिष्य रूप में भगवान संकादिक ऋषि (भगवान सर्वेश्वर आपके द्वारा ही संसेवित है
जो आज भी निम्बार्क पीठ में विराजित है )
हुए जो इस गादी के द्वितीय आचार्य हुए आपके शिष्य श्री नारद भगवान हुए जो सम्प्रदाय के ३ आचार्य रहे l आपके शिष्य प्रवर सुदर्शन चक्रअवतार श्री निम्बार्क है l
ऐसे चलते चलते आचार्य परम्परा में कुल 49 आचार्य हुए है।
वर्तमान आचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगदगुरु निम्बार्काचार्य श्री श्यामशरणदेवाचार्य श्री "श्रीजी" महाराज (जैजै) है l आप 7 वर्ष की अल्पायु या यू कहे बालक रूप में आपने पूज्य पाद आचार्य श्री से दीक्षित होकर आप श्री निम्बार्क सम्प्रदाय के युवराज घोषित हुए।
आप का तेजस्वी रूप व कुंडली देकर बड़े बड़े ज्योतिषाचार्य व स्वयं जगतगुरु शंकराचार्य भी आश्चर्य चकित हुए ओर निम्बार्क सम्प्रदाय व वैष्णव सम्प्रदाय को आपके हाथ में सुरक्षित माना गया l
आप स्वयं अपरस में रहते हुए भगवान की सेवा अपने ही कर कमलों से करते है ।
आप भगवान सर्वेश्वर की प्रसादी भी अपने हाथो से स्वयं निर्मित करते है ।
आप संस्कृत के बहुत बड़े ज्ञाता है ,आपका हर समय सनातन धर्म की रक्षा व इसके चिंतन मंथन पर रहता है l आप भक्त प्रह्लाद ध्रुव चरित्र ,गोपी गीत व सम्पूर्ण श्री मद भागवत के आप बहुत बड़े ज्ञाता है l
आपकी सुमधुर वाणी समस्त सनातन धर्मियो को कथा प्रवचन सुने के लिए प्रेरित करता हैl
आपका यह तेजस्वी स्वरूप सबका यही मानना आचार्य परम्परा अनुसार साक्षात श्री हंस व समस्त आचार्यों का ही रूप है ।
हम आप में सभी आचार्यों के दर्शन कर रहे हैl
श्री निम्बार्क सम्प्रदाय की एक समस्त संप्रदायों में अपना एक अलग ही वर्चस्व है
यह सम्प्रदाय अत्यंत प्राचीन है । वेसे निम्बार्क सम्प्रदाय के बहुत मंदिर व द्वारे है किंतु इस सम्प्रदाय के एक ही जगदगुरु है ओर विश्व में एक मात्र ही आचार्य पीठ है l
जो विराजमान है
अखिल भारतीय जगदगुरु निम्बार्काचार्य पीठ
निम्बार्क तीर्थ सलेमाबद
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